आचार्य श्रीराम शर्मा >> संसार चक्र की गति प्रगति संसार चक्र की गति प्रगतिश्रीराम शर्मा आचार्य
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संसार की गति प्रगति....
........अनुमानों में कहाँ, कितना सत्यता है, कहा नहीं जा सकता। पर यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि मानवीय विधान की अपेक्षा ईश्वरीय विधान अधिक शक्तिशाली है। यहाँ न मनुष्य की भौतिक सामग्री साथ देती है और न बुद्धि कौशल। न तकनीकि साथ देती है न साइंस। उसे जानने के लिए तो अपने जीवन के दृष्टिकोण को ही बदलना पड़ता है। अपनी तुच्छता स्वीकार करनी पड़ती है और महाकाल की महाशक्तियों पर विश्वास करना पड़ता है। जब इत तरह की ज्ञानबुद्धि जाग्रत होती है, तो मनुष्य के कल्याण का मार्ग निकलने लगता है।
...... मानवीय सत्ता अनंत आकाश की तरह सुविस्तृत है। उसके ऊँची पटल क्रमशः धूल, धुंध और सघन भारीपन से युक्त होते जाते हैं और अन्ततः वह स्तर आ जाता है, जिसमें ब्रह्म के प्रकाश और प्रभाव को अधिक स्पष्टतापूर्वक देखा, समझा जा सके।
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